हम भी सुधर जाएंगे

 *हम भी सुधर जाएंगे*

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गुजर जाता है ज़माना, हम भी गुज़र जाएंगे! 

पहले तुम सुधरो फिर, हम भी सुधर जाएंगे!! 


देखो तो सही, आज कैसा आया हैं ज़माना ! 

आदमी के कद का यहाँ, पैसा ही हैं पैमाना!

पैसे के पीछे अब तुम भागो मत क्यों कि!

तुम जिधर जाओ गे, हम भी उधर जाएंगे!

गुजर जाता है ज़माना, हम भी गुज़र जाएंगे!

पहले तुम सुधरो फिर, हम भी सुधर जाएंगे!! 


ये माना कि पैसे से , हर मोल मिल जायेगा! 

दिल को सुकून दे, क्या वो बोल मिल पायेगा! 

मत बनो आशिक़  तुम इसका ऐ ज़ालिम, 

क्या करोगे सर से जब ये खुमार उतर जाएंगे! 

गुजर जाता हैं ज़माना, हम भी गुज़र जाएंगे!

पहले तुम सुधरो फिर, हम भी सुधर जाएंगे!! 


स्वार्थ में हो कर के, तुम कितने यहाँ पर अंधे! 

करते रहते हो नित्य प्रति दिन कई गोरख धन्धे!

तेजो तुम अपने नीज हित की वे सभी भावना , 

दावा हैं मेरा कि तुम्हारे ये दिन सुधर जाएंगे! 

गुजर जाता हैं ज़माना, हम भी गुज़र जाएंगे!

पहले तुम सुधरो फिर, हम भी सुधर जाएंगे!! 


तुम्हारे ही कदमो तले, अब चल देंगे हम भी! 

करें गे गलती और सभी से कह देंगे हम भी! 

मुझे यह संस्कृति जो मिल रहीं  गर तुमसे, 

तुम्हारे हर एक अच्छाई से हम मुकर जाएंगे! 

गुजर जाता हैं ज़माना, हम भी गुजर जाएंगे! 

पहले तुम सुधरो फिर, हम भी सुधर जाएंगे!! 


मानव जीवन अनमोल, अनमोल हैं हर एक पल! 

सार्थक सोच से ही यहाँ मिलता है अदभुत बल!

सत्य की "विजय" होती हैं कहती हैं"अदीक्षा",

सत्य की सत्यता से सारा जग संवर जाएंगे! 

गुजर जाता हैं ज़माना, हम भी गुजर जाएंगे! 

पहले तुम सुधरो फिर ,हम भी सुधर जाएंगे!! 


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*प्रेरक-कु. अदीक्षा देवांगन*

*सृजक- विजय सिंह "रवानी"*


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