भाषा की महिमा
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समझो तो भाषा,न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
सर्वभाषा हैं यहाँ,अभिव्यक्ति के फूल!
कोई गुलाब कोई चम्पा कोई चमेली!!
असमिया,कश्मीरी,तमिल, कोकणी,
वाह! इनकी क्या बात!
नागपुरी, बोड़ो, बांग्ला,संथाली,
भाषा सांस्कृतिक सौगात!!
और भी कई भाषा हैं समझो,
जैसे-दुल्हन नई नवेली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
आनी-बानी की भाखा-बोली,
देश हमारा जाने है!
विभिन्न भाषाओं की रंगोली,
दुनिया लोहा माने है!!
मलयालम, कन्नड़, उड़िया, मराठी,
चाहे हो मिथिला की मैथिली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
नागपुरी गीतों के सरगम,
झारखण्ड की शान में!
यूपी, बिहार भोजपुरी की धड़कन,
गरबा राजस्थान में!!
पंजाब में सीख गुरूवांणी,
हरियाली की महाहरेली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
एक भाषा से दूसरे भाषा का,
आपस में कोई बैर नहीं!
समझ आए वो अपनी भाषा,
बाकी भाषा भी ग़ैर नहीं!!
छत्तीसगढ़ की सरगुजिहा बोली,
या बुंदेलखण्ड की बुंदेली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
भाषा की कोई जाति न होती,
नहीं धर्म-मज़हब से नाता!
माध्यम है सिर्फ अभिव्यक्ति की,
जो सीखता वही है पाता!!
इसकी कोई सीमा नहीं है,
निरंतर चलती रहती है अकेली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
संस्कृत हम सब की दादी अम्मा,
सभी बोलियों की है जननी!
ब्रम्हाण्ड की कोखनाद से अवतरित,
मौन प्रकृति में शब्दप्राण भरणी!!
गद्य ,पद्य, काव्य, छंद, मात्रा की,
सब रसो में है महा रसीली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
गोरों से तो मिली आज़ादी,
अंग्रेज़ी की क्यों गुलामी है!
घर,दफ्तर,मजदूर,अफसर तक,
अंग्रेजी की ही मनमानी है!!
कोई अदालत हो या"अदीक्षा"
भारतीय संसद की हवेली!
समझो तो भाषा न समझो तो पहेली!
हिन्दी की बेटी हूँ मैं, ऊर्दू मेरी सहेली!!
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कुमारी अदीक्षा देवांगन
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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