आ भी जा
""""""""""""""""""""""""""""""""""""
आ भी जा
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""
क़ज़ा इंतज़ार है तेरा,
तुझे कसम है आ भी जा,
राहे-ह़यात पे मेरा,
बिछा क़फ़न है आ भी जा!
हर्फ़े-शिकायत भी नहीं,
किसी से है अब क्या कहना,
हर तरफ नूर है मगर,
अंधेरा चमन है आ भी जा!
मर्ग़े-शौक का आलम,
यूँ भी देखा है हमने,
ऐसे ग़म हज़ार दिल में ही,
दफ़न है आ भी जा!
सहर होने से पहले,
जाने क्यों रात होती है,
मीरा को श्याम से लागी,
जैसे लगन है आ भी जा!
राहे-ह़यात पे ही है,
ताइरे-नफ़स को उड़ना,
धक-धक जो करता है,
दिल की धड़कन है आ भी जा!
अब न कर कोई शिकवा,
कोई गिला न कर हम से,
बात मेरी मान ले जानम,
सुहाना मौसम है आ भी जा!
"अदीक्षा"दिले-बक़फ़,
मुसलसल चलना ही होगा,
क़ज़ा भी साथ चलता है,
यही हमदम है आ भी जा!
**********************
कुमारी अदीक्षा देवांगन,
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
**********************
**********************
*शब्दार्थ*
क़ज़ा=मौत
राहे-हय़ात=जीवन मार्ग
क़फ़न=शव ढंकने का कपड़ा
हर्फ़े-शिकायत =आपत्ति के शब्द
मर्ग़े-शौक =विरह काल
सहर=सवेरा
ताईरे-नफ़स=सांसरुपी पक्षी
दिले-बक़फ़ =हृदय हाथ में लेकर
मुसलसल=निरंतर
**************************

Comments
Post a Comment