ये काल की बात है
*कविता*
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ये काल की बात है
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पुराना जा,
नया आ!
ये साल की बात है! "
(अदीक्षा)
एक में खाई,
दूसरे पर खा!
ये गाल की बात है! "
(गांधी जी)
न मिले मंज़िल,
जाते जा!
ये चाल की बात है! "
(स्वामी विवेकानंद)
आए न सम,
तब तक बजा!
ये ताल की बात है! "
(हमारे पापा जी)
परिश्रम कर,
और कमा!
ये माल की बात है! "
(प्रधान मंत्री)
दूसरे की सुन,
अपनी बता!
ये हाल की बात है! "
(धीरू भाई अम्बानी)
निरंतर चलता हूँ,
कभी न टला!
ये काल की बात है! "
(महर्षि वेद व्यास)
अग्नि उड़ान है,
पोखरण में फटा
ये ढाल की बात है!
(डॉ, ए, पी, जे, अ, कलाम)
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कुमारी अदीक्षा देवांगन,
बलरामपुर-रामानुजगंज,
(छत्तीसगढ़)
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संपादन- विजय सिंह "रवानी"
7587241771 /9098208751

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