गिनती
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शीर्षक:- गिनती
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एक परमाणु और एक ब्रह्माण्ड है
एक परमेश्वर ही जग को चला रहा ।
ब्रह्म जीव दो हुए जग निर्माण है
माया मिले ढाई हेतु जग में भटक रहा ।
ढाई वाले शब्द जग अति शुभकारी है
सत्य, प्रेम, न्याय अरु धर्म, कर्म जाने यहाँ।
तीन मूल कण ही परमाणु में भी होते हैं
तीन काल ,तीन लोक, तीन देव है जहाँ ।
तीन गुणे तीन की तीन लर जनेऊ में
जिसका महत्व सारी दुनिया में छा रहा ।
तीन ही अवस्था पदार्थ और देह की है
द्रव,ठोस, गैस जैसै बाल,युवा, वृद्ध यहाँ ।
द्रव्य और देह की चौथी भी अवस्था है
जो है नहीं भौतिक अलौकिक यह जानिए ।
चार वेद चार शीश विधि के जनु सोहत हैं
समझे इन्हें तो चहुँदिशि सुख मानिए ।
पाँच तत्व देह के पाँच ज्ञान इन्द्रियाँ हैं
पाँच कर्म इन्द्रियाँ हैं इनको सम्हालिए ।
छःरस के व्यंजन, अरु छःशास्त्र सोहत हैं
छःमुख षणानन देव सेनापति जानिए ।
सात अंक जग में बड़ा ही महत्व वाला है
सात द्वीप, सात सागर, सात दिन मानिए ।
नाभिक को तोड़ें तो सात अंक मिलते हैं
सात जन्म, सात फेरे,सात वचन मानिए ।
सात आश्चर्य जग,सात काण्ड मानस के
सात दिन में भागवत को ध्यान दे के सुनिए ।
आठ गाँठ देह में ,आठ गुण प्रकाश में हैं
आठ अश्व दिनकर रथ,आठ सिद्धि जानिए ।
नौ निधियाँ जग में हैं दुर्गा के नौ रूप
नौ प्रकार भक्ति के सुन्दर जग जानिए ।
दश की जो गिनती है जग में बहुत भारी
दशशीश रावण को जग सारा जानता है ।
दश इन्द्रियों को जो रखता सम्हाल के
जग के वो सारे काम पूरे कर जाता है ।
एक-एक मिलने से ग्यारह बन जाता जब
होता है शुभ अंक ऊर्जा जो देता है ।
इस प्रकार गिनती उजागर यह करती है
वेद वा विज्ञान के सम्बंध सुदृढ़ करती है।
आइए इस गिनती को सबको बतायें हम
जो हमारे शास्त्रों से विज्ञान को सिखाती हैं।
महर्षि की ये गिनती हर्षाये सबके मन को
लेखनी हमारी आशा यह करती है ।
वीणापाणि शब्दों में आशीष अपना भर दें
बार-बार वाणी विनय यही करती है ।।
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🙏हरिकान्त अग्निहोत्री (महर्षि)🙏
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संकलन- विजय सिंह "रवानी"
7587241771 / 9098208751

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