अटल-मदन


 हमारे देश के दो महानायकों की जयन्ती ।
उनके श्री चरणों में 

🙏वन्दन🙏

 करते हुए 

"महर्षि"के शब्द सुमन 🌹

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शीर्षक :-अटल-मदन

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बड़ा ही शुभ दिवस था वो ,

            धरा पर लाल दो आये ।

अटल बन एक है  चमका ,

            मदन बन एक मुस्काए।

अटल प्रखर वक्ता थे जग में ,

           मदन संस्कृति रक्षक थे ।

ओजपूर्ण कविताओं के वो 

                वरदहस्त संरक्षक थे ।

रार नहीं ठाना पहले पर 

        अगर कहीं ठन जाये तो ।

कारगिल जैसे दुर्गम में भी ,

            सिंह समान झपटते थे ।

अटल इरादे सदा ह्रदय में 

          कभी नहीं सकुचाते थे ।

अपने देश को सुदृढ़ बनाने

          प्रतिबन्धों से ना डरते थे ।

किया परीक्षण परमाणु का 

            किया नहीं परवाह कोई ।

जो आवश्यक राष्ट्र धर्म में

           निर्णय सदा किये सोई ।

स्वर्ण मार्ग भारत को देकर 

           उन्नति को दिखलाया था ।

गाँव-गाँव में सड़क बना 

      गलियों को गंग बनाया था ।

आजीवन सत्य व निष्ठा का

            शतमारग अपनाया था ।

अटल सतत सत्कर्मों से

        अपनी पहचान बनाया था ।

भारत के लोगों को सच्ची

        राजनीति सिखलाया था ।

ऐसे भारत रत्न अटल जी

     अब हम मदन का ध्यान करें ।

उनकी शिक्षा के महत्व को

                बारम्बार प्रणाम करें ।

हो अक्षय संस्कृति अपनी

     इस ध्येय से कर्म महान किए ।

यह हेतु पूर्ण करने, हित जिसने

     विश्वविद्यालय संस्थाप दिए ।  

इन महान नेताओं के शुभ 

                 विचार हम अपनायें ।

सब मिल कर के हम भारत को

             स्वर्णिम देश बना पायें।  

कोटिक नमन करूँ इनको मैं

        शब्द सुमन अर्पित करके  ।

मैं महर्षि शतबार नाम लूँ ,

         महामना जयजय कहके ।


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हरिकान्त अग्निहोत्री (महर्षि

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संपादन- विजय सिंह "रवानी"

7587241771 / 9098208751

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