भाईचारे


 *भाईचारे*

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भाईचारे का ज्ञान, जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर, क्यो नहीं अपनाते हो॥ 


साक्ष्य है, प्रमाण है और  सनातन  का निशान हैं। 

तुम्हारे आकाओ द्वारा लिखा हुआ भी दास्तान है। 

क्यों नजरे फेर  उनके इस बात को झूठलाते हो।

भाईचारे का ज्ञान, जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर, क्यों नहीं अपनाते हो॥


पीर फ़कीर मजार न मांगू, बात करु मैं आस्था में। 

जो आस्था यहाँ हैं हमारे, भाईचारे की रास्ता में। 

इस रास्ते पर चल कर तुम क्यों नहीं बतलाते हो। 

भाईचारे का ज्ञान, जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर, क्यों नहीं अपनाते हो॥ 


क्या हर बात का विकल्प यहाँ कोर्ट का दरवार है। 

फिर तुम ये बोलो कैसा भाईचारे का व्यवहार है। 

हमारी मांग को तुम सदा गलत ही ठहराते हो। 

भाईचारे का ज्ञान, जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर, क्यों नहीं अपनाते हो॥ 


जिहाद की बाते क्यों तुम्हारे मन को भा जाता है। 

सच बतलाओ इसके सिवाय और  क्या आता है। 

आतंकवाद के मसीहा विश्व में तुम  कहलाते हो। 

भाईचारे का ज्ञान जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर, क्यो नहीं अपनाते हो॥


नमन किये है पुरखे तुम्हारे उस भूमि को मत भूलो। 

तुम  दे कर अधिकार हमे हमारी आत्मा को छू लो। 

मार्ग प्रशस्त "विजय" का क्यों नहीं दिखलाते हो। 

भाईचारे का ज्ञान, जो हमको तुम सिखलाते हो। 

मथुरा, काशी के भूमि पर क्यों नहीं अपनाते हो॥ 

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*विजय सिंह "रवानी"*

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