पहचान कौन ?


 *पहचान  कौन ?*

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गली-गली में आज-कल, 

गप्पू हांक रहा डींग है! 

ताल ठोक कर वो कह रहा,

कि गधे के सिर पे सिंग है!! 


आलू की फैक्टरी मे, 

केले की गुठली का अचार!

कटहल के छिलके से, 

चिप्स भुंजिया है तैयार!!

सरसों का दाल बना कर, 

वो तड़का लगाया हिंग है! 

गली-गली में आज- कल, 

गप्पू हांक रहा डींग है!! 


कहता हमारी सरकार में, 

सुअर की हजामत फ्री! 

हम बगीचों की बहार मे,

ले आएं गे क़यामत फ्री!!

और हम क्या बताएं, 

बाकी सब एनी थींग है! 

गली-गली आज- कल, 

गप्पू हांक रहा डिंग है!! 


सपने का है राज महल, 

सोने की हैं दीवारें! 

भव्यता की पराकाष्ठा, 

गगन तुंबी हैं मीनारें!!

सपने की उस नगरी का,

 बन बैठा वो किंग है! 

गली-गली आज-कल, 

गप्पू हांक रहा डिंग है!! 


कैसे सौंप दे जनता आज, 

सत्ता किसी की हाथों में! 

गद्दारी और फरेब भरा हो, 

जिनकी बातों-बातों में!! 

बाहर से दिखता है गांधी, 

भीतर छिपा जिनपिंग है! 

गली-गली में आज-कल, 

गप्पू हांक रहा डिंग है!! 


शेर के खाल में सियार है, 

जनता ये सब जानती है! 

किसके लिए तेरा प्यार है,

जनता सब पहचानती  है!! 

सगाई की तेरी उँगली मे, 

चाइना ब्रांडेड रिंग है!

गली-गली में आज-कल, 

गप्पू हांक रहा डिंग है!! 


कई दलों के सरगम, 

फ़रेब से रचित गीत! 

ढोल का पोल खुला गया, 

ये "अदीक्षा" का संगीत! 

अब पहचान कौन, 

स्त्रीलिंग या पुलिंग है! 

गली-गली में आज-कल, 

गप्पू हांक रहा डिंग है!! 


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 *कुमारी अदीक्षा देवांगन*

संपादन- विजय सिंह "रवानी"

7587241771 / 9098208751

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Comments

  1. अजीब है मगर सजीव है... रचना

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