घनाक्षरी (विषय- गणेश)
घनाक्षरी छंद
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विषय :- गणेश
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हे गणेश लम्बोदर
जय हो दया सागर ,
ज्ञान बुद्धि के आगर
आय बुद्धि दीजिए ।
लड्डू अति मनभावत
माथे किरीट राजत ,
चढ़ा रहा हूँ मोदक
आय भोग लीजिए ।।
मूसक असवारी हे
सलम्ब सूँड़ धारी हे ,
कर रहा पुकार मैं
आज तो पधारिए।
कार्तिकेय भ्राता तुम
प्रजापति जमाता हो ,
क्षेम के पिता पुनीत
आय लाभ दीजिए ।।
पारवती-शिव लाला
कण्ठ पर सजी माला ,
रिद्धि-सिद्धि स्वामी प्रभु
अब कृपा कीजिए।
बलशीव नही तन
दुर्बल है मेरा मन ,
सुनि महर्षि विनती
बल बुद्धि दीजिए।।
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हरिकान्त अग्निहोत्री (महर्षि)
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संपादन - विजय सिंह "रवानी"
7587241771 / 9098208751

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