समय


 *समय*

=======================

🌷 तुझे कविता कहूँ या ग़ज़ल🌷

=======================


क्षण, पल,सेकण्ड,मीनट,घंटे और पहर! 

दिन,सप्ताह,पक्ष,महिना,वर्ष गया गुजर!! 


अब देखो कि फिर नया साल आ गया, 

पहले तो सुधर न सके, अब तो सुधर! "


समय होता ही है,मुट्ठी की रेत की तरह, 

काल के ताल साथ हमकदम हो सफ़र!"


समय सोना होता है, मूल्य  पहचान लो, 

वक्त ने यूँ देखा है,कई सताब्दी,युगान्तर!"


समय वो पैमाना है,जो नापती है ज़िंदगी, 

जैसे-कविताओं के छन्द,ग़ज़लों के बहर! 


जीने का सलीका हो तो अमृत है ज़िंदगी, 

वर्ना ज़िन्दगी तो है ही,एक मीठी सी ज़हर! 


सुरमयी सुरों का एक सरगम है ज़िंदगी, 

तुझे गीत कहूँ या फिर कहूँ तुझे ग़ज़ल! 


जहां में सै कोई ऐसा नहीं जो ठहर जाए ,

न जानें क्यूँ सिर्फ़ सांसें जाती हैं ठहर! 


हर प्रश्न का उत्तर बेवाक हो "अदीक्षा "

वहां चलेगा नहीं कोई अगर और मगर! 


""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

🙏

कुमारी अदीक्षा देवांगन 

(छोटी)

बलरामपुर (छत्तीसगढ़)

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

संकलन - विजय सिंह "रवानी"

7587241771 /9098208751

Comments