जागृति की आकृति
जागृति की आकृति
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जागृति के आकृति की लम्बाई नाप कर!
चलो काल के नियति की सच्चाई भाँप कर!!
भूखो भजन न होई हें गोपाला!
पहले पेट भर फिर हरि जाप कर!!
करते रहना ज़ेहादी फ़रियाद तब!
पहले तू अपना नियति साफ कर!!
ज्ञान,धर्म,संस्कृति सब बेच कर!
बन गये धनी कागदी नोट छाप कर!!
दिल्ली की लाल घर से पाल घर तक!
वो भय नही करते साधु के श्राप पर!!
शिव की सेना भी चली अज़ान की डगर!
बात बूरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर!!
मंहगाई की मार से बोला किसान!
हे!गृहणी अब सबकी थाली हाप कर!!
जी,डी,पी के आँकड़े से क्या नापते हो?
हमें भरोसा नहीं तुम्हारे इस नाप पर!!
भारत माता की जय वे नहीं कहते!
जिन्हें भरोसा नहीं, अपने ही बाप पर!!
नाचने लगा है दुश्मन बन्दर की तरह!
देखो मोदी जी के तबले की थाप पर!!
मांग लो माफ़ी,इंसान को इशारा काफी!
अडिग है "अदीक्षा"अपने इस बात पर!!
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कु-अदीक्षा देवांगन
संकलन/संपादन- विजय सिंह " रवानी
7587241771,9098208751

बेहतरीन.... लाज़वाब
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