सृष्टिकार- कु. अदीक्षा देवांगन "अदी"
कविता
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शीर्षक-सृष्टिकार!
वृत्यानुप्रास अलंकार
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बट बिरूखे बूढ़ा बन्दर बैठा,
बगिया बहुत बहार!
पत पीपर पर पड़की पपीहा,
प्रकृति पवन पसार!!
नटखट नटवर नाचत नगीना,
नयना नित निहार!
फल फसल फरे फुलबगिया
फूल फाल्गुनि फुलवार!!
सहज सरल सत् सीता सुवाटिका,
सिसके सांस सिंगार!
हाल हरि हश्र हाथ हनुमाना,
हरसत हित हजार!
पवन पुत्र परखत परदेसा,
पाप पीर प्रहार!
भय भयंकर भाव भक्ति भगवाना,
भव्यभुवन भष्मसार!!
करुण क्रंदन कपट कुमति,
कष्टपर करिवार!
रक्तरंज़िश रावण राक्षस रण,
राम रचे रिक्तरार!!
आदि अन्त अनवरत"अदी"
अटलादम अवतार!
सृष्ट सकल संसार सृजनकरि,
सीता सरित सिंगार!!
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कु. अदीक्षा देवांगन
"अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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संकलन- विजय सिंह "रवानी"
7587241771, 9098208751

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