डगर मिले ना मिले- कु. अदीक्षा देवांगन "अदी"
~ नज़्म ~
डगर मिले ना मिले
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लिखती हूँ ग़ज़ल,बहर मिले ना मिले,
अंधेरी रात सही,सहर मिले ना मिले!
चलते रहना मुसलसल काम है तेरा,
चल अकेला हम सफ़र मिले ना मिले!
चलते जा खुद निकल जाएगा रास्ता,
कहीं और कोई डगर मिले ना मिले!
खुद ढूंढना है तुझे,तेरा सही ठिकाना,
कहीं मंज़िल की खबर मिले ना मिले!
ज़माने से नज़र तुम मिला कर देखो,
किसी और से कहीं,नज़र मिले ना मिले!
बहने की तहज़ीब,सीख लो नदी से,
फिर और कहीं ये हुनर मिले ना मिले!
बसाना होगा खुद नया इक शहर "अदी"
बसा बसाया तुझे शहर मिले ना मिले!
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कु. अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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संकलन- विजय सिंह "रवानी"
7587241771, 9098208751

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