नांगर की मुठिया- कु.अदीक्षा देवांगन"अदी"
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"मनहरण घनाक्षरी"
कु, अदीक्षा देवांगन"अदी"
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नांगर की मुठिया में,नाम लिखा हैं बुढ़े का,
बचपन भी है बिता,बरधा चराने में!
जवानी भी गुजरी है,खेत खलिहानों में ही,
कानून बना कागजी,संसदी बहाने में!!
राजधानी की सड़क,धक्कामुक्की भीड़भाड़,
राजनीति की खीचड़ी,लगे हैं पकाने में!
ग़ज़ब की होड़ लगी, फेबी कोली जोड़ लगी,
झूठ सब बोल रहे,सच को छिपानें में!!
चौधरी चरण सिंह,था जो नेता किसानो का,
वैसा नेता अब काहे,होते ना जमाने में!
हिंसा करें गांधीवादी,बिगड़ा हुआ है बैला,
हँसिया की दराती को,लगे हैं चुखाने में!!
खुरपी से सिर मुड़ा,नहीं अब चोटी जूड़ा,
धरती सिंगार करे,खून से नहाने में!
ढेंकुर से पानी खींचे,बंजर धरती सींचे,
बुढ़ी माँ का मेहनत,लगा है जिलाने में!!
गाँव में गरीबी बढ़ी,शहर में बढ़ी भीड़,
हिंसा करें गांधी वादी,लगे हैं चिल्लाने में!
किसानों का है बहाना,अपना भी है बनाना,
राजनीति की हैं सब,दुकान सजानें में!
कौवा करे काँव काँव,गिद्ध मंडराने लगे,
भौंकनें लगे हैं कुत्ते,मौत के ठिकाने में!
आगे आगे देखो जरा,तमासा है जादू भरा,
गायब हैं होने वाले,यम के निशाने में!!
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कु,अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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संकलन- विजय सिंह "रवानी"
7587241771, 9098208751

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