उम्मीद- कु.अदीक्षा देवांगन "अदी"
*******उम्मीद********
कु,अदीक्षा देवांगन"अदी"
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मुन्तशिर हैं सरगम,और मौन है मौशिक़ी,
कि चाँद से चकोर की है यह कैसी दोस्ती'!
चातक को आस है बस बर्षा की इक बून्द,
इसे ही तो कहते हैं आशिक़ की आशिक़ी!
मोहब्बत के नशे का इक ख़ुमार है मगर,
मदहोशी में भी करते हैं वो बात होश की!
छन्न से करती आवाज, मिट जाती है हस्ती,
गरम तावे में पड़ती है जब बून्द ओस की!
बहुत दिनों के बाद वो दूरभाष से ही सही,
बातें कोई आम नहीं,उसने बातें खास की!
उम्मीद पर ही टिकी है सारी दुनिया"अदी"
आशा भरी ज़िन्दगी में बात नहीं निराश की!
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कु,अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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संकलन - विजय सिंह "रवानी"
7587241771, 9098208751
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