आह्वान- हम हारेन हृदय हमरी- कु. अदीक्षा देवांगन "अदी"
*कविता*
शीर्षक-आह्वान,
(वृत्यानुप्रासालंकार)
कुमारी अदीक्षा देवांदन"अदी"
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हम हारेन हृदय हमरी,
हे हरि हियाई हार हरो!
हमें हक है हर्ष्हिताई
हिया हूम-हूम हमरो!!
कौन करम कैसे करूँ,
करूण काया कहरो!
कि कहना क्या कृपालु,
कटु कर्ण कपट को!!
सत् संगत सुख सरिता,
सात समुन्दर सगरो!
सरद समर सर्व सुहाना,
सुख समृद्धि सुमिरो!!
जल जीवन जल जगत,
जैसे जग जीत जैकारो!
जागृत जीव जो जपत,
जेहि जीता जग हारो!!
द्विव्य दर्शन दिए देवता,
दिशा-दिशा दर्शायो!
दत्य दहन दमनयता,
दुर्ष्टनय दिल दहलायो!!
अर्थानर्थ अति "अदी"
अपजसऔ आडम्बरो!
अश्रुअहिताविरल अति,
अब और आदम न रो!!
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कु, अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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संकलन - विजय सिंह "रवानी"
7587241771, 9098208751
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