कैसा है मंज़र देखो -कु.अदीक्षा देवांगन "अदी"


 *कैसा है मंज़र देखो*

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""

कु,अदीक्षा देवांगन "अदी"

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""

उठ रही है दिल में इक लहर देखो,

क्या छिपा है दिल में इक नज़र देखो!


फिर लगी है आग,किसी शाहीन बाग में,

रोता,विलखता हुआ,इक शहर देखो!


अपने ही आस्तीन में साँप पाले बैठे हैं,

अब निकल कर उगल रहे हैं ज़हर देखो!


लोकतांत्रिक करूक्षेत्र में कैसा धर्मयुद्ध है,

आदमी ही ढा रहा है आदमी पे कहर देखो!


रच दिया गया है गणतांत्रिक चक्रव्यूह भी,

फँसा हुआ है इन्सान आज बीच भँवर देखो!


यहाँ हत्या हुई तो वहाँ बालात्कार हुआ,

रोज़ यही अख़बार में ख़बर पे ख़बर देखो!


किस्म-किस्म के छिड़े हुए हैं ज़िहाद यहाँ,

दोस्त ही घोप देता है पीठ में ख़ंज़र देखो!


रास्ते सब बन्द हुए जाएँ तो जाँ किधर,

ऐ "अदी" कैसा दर्द भरा है मंज़र देखो!

**********************

कु,अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर(छत्तीसगढ़)

***********************

Comments