ढोल का पोल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
*ढोल का पोल!*
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अदीक्षा देवांगन "अदी"
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तलवार नहीं सिर्फ़ ढाल से,
क्या होगा कछुआ चाल से!
बचते रहने से क्या फायदा,
पहले मारो जूता निकाल के!!
छेड़ो गे तो छोड़ें गे नहीं,
यह नीति पूरानी टाल के!
छेड़ने से पहिले ही मारो,
कुछ काम करो कमाल के!!
घर में चंद बुद्धूजीवी बैठे हैं,
कि जो खाल निकालें बाल के!
मुँह काला करके इन्हें घुमाओ,
गले जूतों की माला डाल के!!
सभी ढोल के पोल खुले हैं,
क्या करना इन्हें संभाल के!
फेंको देश से बाहर इनको,
बढ़िया चलनी में चाल के!!
बटुरे-मटर में फरक न जानें,
किसान बनते कैसे हलाल के!
"अदी" करो विरोध इनके सब,
क्या करना है कुत्ता पाल के!!
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कु, अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)

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