अच्छा लगता है! - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"

*अच्छा लगता है!*

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शब्दों को छंदों में सजाना,

अच्छा लगता है! 

भैंस के आगे बीन बजाना, 

अच्छा लगता हैं!!


सत्य कहो तो लोग बहरे, 

बन जाते हैं! 

तर्क-कुतर्क के सब चेहरे, 

बन जाते हैं!!,


सबको सिर्फ़ बातें बनाना, 

अच्छा लगता है! 

उपहास पर ताली बजाना, 

अच्छा लगता है!!


देश भक्ति के पत्रकार सब, 

नप जाते हैं! 

लिहाजा झूठे समाचार सब, 

छप जाते हैं!! 


इन्हें तो झूठी खबर फैलाना,

अच्छा लगता है! 

जगते  हुए सोने का बहाना, 

अच्छा लगता है!!


भूला दिये सनातन संस्कार,

संस्कृति छोड़ के!

देखो बन गया नेता गद्दार, 

देशभक्ति छोड़ के!! 


दुश्मन से भी हाथ मिलाना,

अच्छा लगता है! 

चीन से किए वादा निभाना, 

अच्छा लगता है!!


लोकतंत्र की आड़ में धूर्त, 

बन जाता सांसद! 

गणतंत्र की आड़ में मूर्ख, 

फैलाता आफ़त!! 


"अदी"उसे पद में पगलाना,

अच्छा लगता है! 

संसद भवन में यूँ चिल्लाना, 

अच्छा लगता है!! 


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कु, अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर (छत्तीसगढ़) 

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