मेरे खज़ाने-कु अदीक्षा देवांगन"अदी

*खोता बचपन!*


*मेरे खज़ाने!*


(अदीक्षा देवांगन "अदी")


यादों की तिज़ोरी में बंद,

         मेरे बचपन के खजाने! 

वो रेत के प्यारे धरौंदे,

         गुड्डे-गुड्डियों के घराने!! 


खिलौनों की शादियों में,

        वो खुशियों की आबादी!

वो स्वच्छंद, अल्हड़पन, 

         कटु विचारों से आज़ादी!! 

वो धुन्धलकी सी परछाई, 

          रोमांचक गुजरे जमाने!

यादों की तिज़ोरी में बन्द,

          मेरे बचपन के खजानें!!


दृष्टिपटल पर उभरती हुई, 

          मेरी स्मरण की तस्वीर! 

आस-पास खींची हुई सी,

          मेरी किस्मत की लक़ीर!! 

प्राकृतिक मधुर संगीत, 

         तुतलाती ज़ुबां के तराने!

यादों की तिज़ोरी में बन्द,

         मेरे बचपन के खजाने!!


दादी की सुन्दर कहानी,

         गुज़रे  पलों की जुबानी!

अनायास आती है यादें,

          झरती है आँखों से पानी!! 

कभी अपनों से लगते थे,

         अब क्यूँ लगते हैं बेगाने! 

यादों की तिज़ोरी में बन्द, 

         मेरे बचपन के खजाने!! 


वो दो आने में बिकने वाली,

        मीट्ठी-मीट्ठी रंगीन गोलियां! 

वो हँसते-गाते धूम मचाते,

         नटखट बच्चों की टोलियाँ!! 

बर्रों के छत्ते पे लगाते जो,

          सब पत्थरों से निशाने!

यादों की तिजोरी में बन्द, 

          मेरे बचपन के खजाने !!


 मेरी बेबी डॉल बेचारी,

             मेरे संग बढ़ न सकी! 

रह गयी वैसी की वैसी,

             कुछ लिख-पढ न सकी!!

आलमारी में बैठी आज, 

          वो लगी है मुझे चिढ़ाने!

यादों की तिज़ोरी में बन्द, 

          मेरे बचपन के खजाने!! 


वो बारिश की बुन्दें, 

           सोंधी मिट्टी की महक! 

मिट्टी से सने शरीर, 

           प्रकृति से लेते सबक!!

वो भीगे हुए तन-मन, 

           लगे बरसात में नहाने! 

यादों की तिज़ोरी में बन्द, 

           मेरे बचपन के खज़ाने!!


अब तो बचपन में ही, 

            बचपन एक खोज है! 

उनके चेहरे में सिकन, 

           और बस्ते का बोझ है!! 

थोप दिए जिम्मेदारी, 

             थोथे ज्ञान के बहाने! 

यादों की तिज़ोरी में बंद, 

             मेरे बचपन के खज़ाने!! 


प्रतिस्पर्धायी शिक्षा में, 

           देख लो खोता बचपन!

मानसिक तनावग्रस्त, 

          रहता है बच्चा हरदम!!

कौन भरने वाला इनके, 

            अधिकारों के हरज़ाने! 

यादों की तिज़ोरी में बन्द, 

             मेरे बचपन के खज़ाने!! 


हे! ईश्वर लौटा दो मुझे, 

          सौ-सौ जनम के बदले! 

वही"अदी"का बचपन, 

           मेरी दादी के झबले!

उसकी ही आँचल में बंधे,

           मेरे सारे गुजरे जमाने! 

यादों की तिज़ोरी में बन्द,

           मेरे बचपन के खजानें!! 


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कु, अदीक्षा देवांगन "अदी"

सुपुत्री-आर, डी देवांगन, 

गांव-लूर्गी खूर्द

जिला-बलरामपुर (छत्तीसगढ़)497223.

फोन-8305034384.

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