क्षणिकाएँ - तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
*क्षणिकाएँ!*
(तीन तिगाड़ा,काम बिगाड़ा!)
अदीक्षा देवांगन "अदी"
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(1)
दिल ने पूछा किस्मत से-
"कि तेरा ठिकाना कहाँ है?"
किस्मत मुस्कुरा के बोली-
"कि मेरा दीवाना जहाँ है!"
(2)
किस्मत ने पूछा दिल से-
" कि तेरा इरादा क्या है?"
"गुलाम हूँ परम्पराओं का,
और इससे ज्यादा क्या है!"
(3)
फिर मन ने पूछा दोनों से-
"मैं क्या करूँ तुम्हारे लिए?"
क्या करेगा तू खुद है खड़ा,
किसी दूसरों के सहारे लिए!"
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कु, अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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