अलख - "अदी" के मर्कट दोहे- कु अदीक्षा देवांगन"अदी"
मर्कट दोहा- गुरु-१७, लघु-१४
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विषय- अलख
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(१)
अलख निरंजन बोल के,
ठानों बैरी रार!
लाठी डंडा छोड़ के,
गोली मारो सार!
(२)
अलख जगाओ आप के,
दिल में हो भूचाल!
बैरी दुशमन ताड़ के
मारो जूता चार!!
(३)
अलख जगाओ ज्ञान का,
कर शिक्षा का प्रचार!
ज्ञान बांटने से बढ़े,
दो में दो हो चार!!
(४)
अलख जगाओ राम का,
जपो राम का नाम!
राम-राम रटते रहो,
होंगे सारे काम!
(५)
अलख जगाने वो चले,
जग में चारों ओर!
आदमी जागता रहे,
बैरी घुसे न चोर!
(६)
भीतर अपने आप में,
अलख जगा लो आप!
बैरी को पहचान लो,
मारो जूता छाप!!
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कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर-रामानुजगंज (छग)
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