क्षणिकाएँ- ज़िंदगी एक तराना-- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"



*क्षणिकाएँ!*

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      (अदीक्षा देवांगन "अदी")

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ज़िंदगी इक तराना, 

               दिम-ताना देरे-ना! 

टूटे नहीं किसी का, 

              दिल तेरे न मेरे ना!!

                  


डाली को न काटो, 

               टूटे पंछी के डेरे ना!

काल भी किस्मत से,

                फिर मुँह फेरे ना!!

                 


जीवन में कभी भी, 

               तुमको दुख घेरे ना!

कोल्हू में ज़ख़्मों का,

             कोई यूँ तेल पेरे ना!! 

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अदीक्षा' देवांगन "अदी"

बलरामपुर (छत्तीसगढ़) 

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*शपथ-पत्र*

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मैं अदीक्षा देवांगन "अदी" सुपुत्री-श्री आर, डी, देवांगन, गाँव-लूर्गी/जिला-बलरामपुर, 


यह घोषणा करती हूँ कि मेरी यह क्षणिकाएँ मेरी स्वरचित रचना है। जो कहीं से नकल या चुराई हुई नहीं है। 

तथा सर्वाधिकार सुरक्षित है। 


  ✒️अदीक्षा देवांगन"अदी"

प्रकाशन तिथि- 27.03.2021

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