छत्तीसगढ़ी दोहे- अदीक्षा देवांगन "अदी"
छत्तीगढ़ी दोहे!
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(अदीक्षा देवांगन "अदी)
(१)
करिया झापर डोंगरी,
भरल डोंगरी बाँस।
बईगा धर कुकरी चले,
भूँजे भूतन माँस।।
(२)
लरिका रोवय रात के,
दाई राँधे पेज।
ददा गइस बूता करे,
मीर्ची जइसन तेज।।
(३)
पत्तरी में बासी धरे,
दोना मे धरे नून।
मछरी अमटी झोर हे,
चटनी में लहसुन।।
(४)
धाँस-फूँस के झोपड़ी,
पैरा ऊँच मचान।
पहुना सुत गे ओसरा,
अउ का करौं बखान।।
(५)
भूँकत कुकूर रोगहा,
भागत हे मतवार।
गिरे हपट के खेत मां,
नोचत खर-पतवार।।
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*अदीक्षा देवांगन "अदी"*
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