खोता बचपन - क्षितिजा देवांगन


*खोता बचपन!*
(क्षितिजा देवांगन )
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लौटा दो मेरा खोया बचपन! 
लेलो चाहे दिल की धड़कन!!
 
      अक्श दिखाए न बचपन का,
       तोड़ दो ऐसे सारे ही दरपन!!

इक पल के बचपन के बदले,
कर दूँ सौ-सौ जवानी अरपन!!

      हे! ईश्वर,अब तुम ही करो कुछ, 
      समझ लो मेरे मन की तड़पन!

आजाद सा लगता था बचपन, 
लगता है अब क्यों ये जकड़न!!

      जिंदादिल जिंदगी भी लगती थी,
      अब जैसे कि जी रहे हों जबरन!!

लगता है क़यामत के जैसा ही, 
अपना यह बचपन से बिछुड़न!!

      फैला हुआ आकाश था जो सारा, 
      आकाश अब लगता है सिकुड़न!!

कोई तो बता दे तरक़ीब मुझे वो, 
जिससे हो बचपन का दरशन!!

      इक पल के भी बचपन के बदले,
      बलिदान कर दूँ मैं जानो-तन-मन!!

लिहाजा कैसै दौड़ कर लौट चलूँ,
 कि समय खड़ा करता है अड़चन!! 

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क्षितिजा देवांगन 
बलरामपुर (छत्तीसगढ़) 
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*शपथ-पत्र*
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मैं क्षितिजा देवांगन
सुपुत्री-श्री आर, डी, देवांगन, 
गाँव-लूर्गी/जिला-बलरामपुर, 
यह घोषणा करती हूँ कि मेरी यह रचना शीर्षक -(खोता बचपन) मेरी स्वरचित रचना है। जो कहीं से नकल या चुराई हुई नहीं है। 
तथा सर्वाधिकार सुरक्षित है। 

✒️क्षितिजा देवांगन
प्रकाशन तिथि- 26.03.2021
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