रास- "अदी" के करभ दोहा- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
"अदी" के करभ दोहा
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गुरु-१६, लघु-१६
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विषय- रास
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(१)
रास रचो कछु साजना,
राधा हूँ मै अाज!
सजन आज कान्हा बनों,
देखत जरे समाज।।
(२)
रास-रास में राज़ है,
बात-बात में प्यार।
होंट-होंट में गीत है,
निरमल नदिया धार।।
(३)
रास रचे दिन रात वो,
नाम है नंदलाल।
होंट लगाए बांसुरी,
बाजे डमरू ताल।।
(४)
कपट भरी यह जिंदगी,
आति नहीं है रास।
रोज जियो वो ज़िंदगी,
बातें हों कुछ खास।।
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कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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