होली की सप्तरंगी दुनियाँ- विजय सिंह "रवानी"
*होली की हार्दिक शुभकामनाएं*
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~ *शिर्षक- होली की सप्तरंगी दुनियाँ*~
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अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
सबसे पहले बोला केसरिया,
मैं सिख, हिन्दू का हूँ शान!
मेरे रंग से तुम खेलों होली,
मैं हूँ सम्पूर्ण हिन्दुस्तान !
त्याग समर्पण का ये भाव,
प्रकृति ने मेरे अंदर घोली!
अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
पीछे से बोला रंग हरा,
मनसूबों को करों सलाम!
आज मेरे रंगों के तले,
विश्व में फैला है इस्लाम !
तीज सावन एक तरफ,
दूजी ओर बंदूक की गोली!
अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
नीला रंग भी अपना ही,
अलग पहचान है बतलाता!
भीम आर्मी वालो के,
सुर के साथ सुर मिलाता!
खुद को दर्शाता दलित,
असुरक्षित बहुजनो की हवेली!
अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
मैं हूँ शांति का प्रतीक,
पर ईसाईयों का समर्थक!
सामने आ कर श्वेत बोली,
मेरा रंग ही मेरा सार्थक!
सतनामी कबीर पंथ की भी,
एक हैं छोटी सी टोली!
अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
लाल रंग भी स्वयं को,
प्राचीन हालात में तौल गया !
माओवादी विचार का हूँ,
धीरे से कान में बोल गया!
मन में घृणा विकासवाद से,
रक्त-रंजित से भरी हथेली!
अजब समस्या है आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
लगता हैं कि ये त्यौहार,
अब फिका ही रह जायेगा!
"विजय" मिले प्रेम का ,
वो रंग कहाँ है से आयेगा!
कौन सजायेगा मानवता को,
कैसे बनेगी जीवन की रंगोली!
अजब समस्या हैं आज,
किस रंग से खेले होली!
जिस रंग में हाथ डालो,
वो रंग बोले अपनी बोली!!
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🙏
*विजय सिंह "रवानी*
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