क्या कहूँ मैं होली में- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


 *क्या कहूँ मैं होली में?*

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(अदीक्षा देवांगन "अदी")

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क्या कहूँ मैं होली में? 

       मिठास नहीं है बोली में।

कैसे मैं बाहर निकलूँ?

       रंग नहीं  मेरी झोली में॥


लौट गई बारात दहेजी, 

       रो रही दुल्हन डोली में।

झूल रही लाश बाप की, 

      भीतर घर की खोली में॥


हाथों की मेंहदी बदरंगी,

       कोई रंग नहीं रंगोली में।

गरीब की है यह कहानी,

       उड़ाते लोग ठिठोली में॥


नशा भूख का ऐसा है कि,

     जो नहीं भांग की गोली में।

आँचल फैलाए माँ बैठी है,   

       ममता बहुत है ओली में॥


भीड़ बहुत है गद्दारों की,

       आंदोलन करती टोली में।

"अदी"सरकार भी चुप है, 

       मौन बन्दूक की गोली में॥


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अदीक्षा देवांगन"अदी"

बलरामपुर (छत्तीसगढ़) 

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सर्वाधिकार सुरक्षित

मौलिक रचना

प्रकाशन तिथि - 28.03.2021

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