हाइकु- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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(अदीक्षा देवांगन "अदी")
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*हाइकु* एक जापानी काव्य लेखन विधा है, जो आज पुरी दुनिया में प्रचलित है।
इसमें वर्णिक छंद गिने जाते हैं, और मात्र तीन पँक्तियाँ होती हैं।
पहली और तीसरी पँक्ति -५ पाँच मात्रा। तथा दूसरी पँक्ति में ७ सात मात्राएँ होती हैं।
इसमे तुकांत जरूरी नहीं।
(१)
पाप की रोटी,
लहु संग लपेटी,
किसकी बोटी॥
(२)
धूप की गर्मी,
पीपल की छईयाँ,
फल तो कर्मी॥
(३)
राम का नाम,
रावण की बतिया,
नींद हराम॥
(४)
चुल्हे की आग,
नयन भरे धुआँ,
पानी में झाग॥
(५)
बर्रों के छत्ते,
है बच्चा सरारती,
हाथ में ढेला॥
(६)
मृग नयनी,
शहर की गलियाँ,
नशा मयनी॥
(७)
"अदी"की अदा,
बदलता जमाना,
चलो मैक़दा॥
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अदीक्षा' देवांगन "अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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स्वरचित, मौलिक हाइकु, सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि २९.०३.२०२१
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संकलन/संपादन- विजय सिंह "रवानी"
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