मेहरबान खुदा हो जाए- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"

💃💃💃 *ग़ज़ल* 💃💃💃

     अदीक्षा देवांगन"अदी"

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मात्रा भार(वज़्न) 32.प्रत्येक पँक्ति -16 मात्रा। 

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मेहरबान  खुदा  हो जाए। 

तन से प्रान जुदा हो जाए॥


        दुनिया मे जी कर क्या करें? 

        जब अंदाज बुरा  हो जाए॥


जिएँ हजारों साल  तो क्या?

तन-मन हवा-हवा हो जाए॥


        आशियाना जब जलने लगीं, 

        सरहद  धुँआ-धुँआ हो जाए॥


मरीज़े-इश्क  है, मरहम क्या?

अब तो सिर्फ दुआ  हो  जाए॥


        चलना "अदी" अदालते-खुदा,

        जीवन  जहाँ  पुरा  हो  जाए॥


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  अदीक्षा देवांगन "अदी"

    बलरामपुर (छत्तीसगढ़) 

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि २२.०४०२०२१

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