दरिया-ए -ग़म है यहां- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"

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नज़्म-ए-ग़ज़ल, 

ग़ज़लकारा- 

अदीक्षा देवांगन "अदी

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 2222 212

क़ाफ़िया -अम। रदीफ़-है यहाँ।

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दरिया-ए-ग़म है यहां!

हर आँखें नम हैं यहाँ!!


होते    दंगें  भी  यहीं!

झगड़े  हरदम हैं यहाँ!!


पैसा लेता है जान भी! 

मरते  तो हम  हैं यहाँ!!


नफरत धुलती है हवा!

घुँटता भी दम है यहाँ!!


फैला झूठा चहुँ-दिशा!

सूरज शबनम है यहाँ!!


हमको गाने दो "अदी"!

दुख का सरगम है यहाँ!!


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अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर (36 गढ़) 

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि २६.०४.२०२१

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