आशियाना प्यार का हम बनाते रहे गये -ग़ज़ल- -कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


 ग़ज़ल

बहर-मदीद

ग़ज़लकारा-

अदीक्षा देवांगन"अदी"

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 2122 212 2122 212


आशियाना प्यार का हम बनाते रह गए!

जिंदगी उजड़ी रही  हम सजाते रह गए!!

 

     रात होने दो जरा, खोज लेंगे  रौशनी, 

     आँसुओं से हम चराग़ें जलाते रह गए! 


चोर,चोरी कर गए,हम नहीं ये जानते, 

आखरी गोली हवा में चलाते रह गए!


     ख़ाब देखा  रात  में,चाँद से बातें  हुई,

     बादलों के बीच में,घर बनाते रह गए!


बोलती है जो जुबां,बात सुनता कौन है,

लोग सुनते ही नहीं हम सुनाते  रह गए!


     प्यार दीवाना हुआ तो क़यामत कौन सी, 

     लोग  रूलाते  रहे, हम  हँसाते  रह  गए!


ऐ "अदी" की चाहतें,भावना बदलो जरा,

काल तांडव नाचता,हम नचाते रह गए!

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   अदीक्षा देवांगन"अदी"

    बलरामपुर (36गढ़)

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि २८.०४.२०२१

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