ज़िंदगी से जुदा दिल नहीं -ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल
ग़ज़लकारा-
अदीक्षा देवांगन "अदी"
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212 212 212
ज़िंदगी से जुदा दिल नहीं!
राब्ता इश्क हासिल नहीं!!
आँख से बात कर लो जरा,
देख के जी भरा फिर नहीं!
कौन है वह नहीं ये पता,
ख़ाब में देख मंज़िल नहीं!
आशियाँ जल रहा है कहीं,
आग में कौन शामिल नहीं!
बे-वफ़ा कह दिए चल दिए,
रंग में देख महफ़िल नहीं!
डूब जाए कहीं नाव भी,
क्या करें पास साहिल नहीं!
मारते हैं नज़र से सभी,
कौन है जोकि क़ातिल नहीं!
ऐ "अदी"जान जाने लगी,
रूह में साँस दाखिल नहीं!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(36गढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि ३०.०४.२०२१
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