टूटा हुआ सितारा आकाश से गिरा है-: ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल
क़ाफ़िया -इआ,
रदीफ़- है,
मापनी- 221 2122 221 2122
रचना- अदीक्षा देवांगन "अदी"
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टूटा हुआ सितारा आकाश से गिरा है,
लौटा नहीं दुबारा ज़जबात से घिरा है!
सरगम नहीं सुरों में साज़ें नहीं बजाना,
गाना नहीं अभी तो आवाज़ किरकिरा है!
देखो नसीब वालों, रोती हुई खुशी को,
उसने कभी किसी से वादा नहीं किया है!
बातें करो खुशी से,बोलो सही जुबां से,
समझो उसे अनाड़ी मदहोश सिरफिरा है!
मसलन बहुत बहाने, जानें सभी बहाने,
रोको नहीं किसी को,डरता हुआ जिया है!
फूले नहीं चमन मे, यूँ फूल आज देखो,
जूही चँपा-चमेली,गुलहल कहाँ खिला है!
गाओ"अदी" तराना,जलता रहे जमाना,
ग़म की यही दवा है,सबने यही किया है!
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अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि २३.०४.२०२१

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