आसरा मिल गया रात भर के लिए- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन ""अदी"


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🍒🍒🍒 *ग़ज़ल* 🍒🍒🍒

       *अदीक्षा देवांगन"अदी"*

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   क़ाफिया-अर, 

  रदीफ़-के लिए,

मात्राभार - 40.

        212 212 212 212


अासरा मिल गया,रात भर के  लिए, 

हौसला मिल गया है ज़िगर के लिए!


हम  नहीं  जानते  मंज़िल का पता, 

हम चले थे कहाँ से किधर के लिए!


फूल  तो  बाग़बां   के  सहारे  खिले,

देख लो भी जरा इक नज़र के लिए!


भूल  थी  आप  से दिल हमारे मिले, 

शुक्रिया आपको उस ज़हर के लिए!


गाँव  में जो  सुकूं  वो शहर में कहाँ, 

हो मुबारक उसे उस शहर के लिए!


रहगुज़र भी नहीं  हमसफ़र भी नहीं,

हम चले जो डगर उस डगर के लिए!


 अज़नबी  है  शहर  अज़नबी रास्ते,

चल "अदी"साथ दे उम्र भर के लिए! 


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 अदीक्षा देवांगन"अदी"

    बलरामपुर (छत्तीसगढ़)

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि -२१.०४.२०२१

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