प्रकृति- कविता- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"

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  कविता!

  शीर्षक-प्रकृति!

  कवयित्री-

अदीक्षा देवांगन"अदी"

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इश्क की बोली, प्रेम की भाषा!

शब्द न आखर,बिन परिभाषा!! 


मौन कहती क्या, सुन प्रकृति, 

चैन से  जीने  की अभिलाषा!


चाँद में धब्बा, रौशन  सितारे,

ग्रह  मंगल  यह करे खुलासा!


शीतल हवा, जीवन की दवा, 

सूरज ठंडा तो सागर प्यासा! 


बूढ़े बरगद की कोमल पत्तियाँ,

पतझर,शीत,सावन,गर्मी,वर्षा!


सूर्य में ग्रहण, रात अमावस, 

फिर भी आशा नहीं निराशा!


मन-उपवन में फूल खिलाया, 

अपरवाला क्या खुब तराशा! 


मृगनयनी है चाल हिरनी सी,

कहे "अदी" तो बढ़े जिज्ञासा! 


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अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर (36गढ़)

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स्वरचित मौलिक रचना

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि-२८.०४.२०२१

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