इश्क में हो तिज़ारत नहीं- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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  ग़ज़ल

 अदीक्षा देवांगन"अदी"


 212 212 212

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इश्क में हो तिज़ारत नहीं, 

बेवफा तो मुहोब्बत नहीं!


आरज़ू  है  जहां  से यही,

प्यार में हो अदावत नहीं! 


भीख में प्यार मिलता नहीं, 

मांग लो जो  इनायत  नहीं!


ज़िंदगी  जंग  है जीत लो,

जान लो ये सियासत नहीं!


खेल भी ये नहीं दौड़ का, 

दौड़ने  में  थकावट नहीं!


भागना भी मुनासिब कहाँ

बोलने  की इज़ाजत नहीं!


ऐ"अदी, काश मैं जानता, 

भीड़ में तो शराफ़त नही,! 

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अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर (36 गढ़) 

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि -०३.०५.२०२१

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