माँ- मनहरण घनाक्षरी - माधवी गणवीर


 मनहरण घनाक्षरी

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~ माँ ~


माँ का कोई मोल नहीं,

माँ होती बड़ी प्यारी है,

ममता  की  मूरत  सी,

ये  है  तो  जहान  है।

       

कैसे उसे बयां करूँ,

आँचल पे  सर धरू,

धुरी  मेरे  जीवन की,

हाँ वो  मेरी जान है।


हर ग़म की वो दवा,

दर्द भी बहुत सहा,

तुम बिन कुछ नहीं,

माँ  मेरी महान  है।


तेरी  रहमतों  से  ही,

मुझको ये नाम मिला,

ईश्वर  का  रूप है  ये,

माँ  ही  मेरा  मान है।।


🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 माधवी गणवीर

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