इश्क हैं प्यार है- ग़ज़ल -कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
ग़ज़ल!
अदीक्षा देवांगन "अदी
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212 212 212 212
इश्क है प्यार है,
जो निराकार है!
नफ़रतो की जहाँ,
तो निराधार है!!
इश्क हम जो करें,
तो मिले प्यार भी,
नफ़रतों में कहाँ,
प्रीत संसार है!
पाप है इश्क तो,
पाप कर लो ज़रा,
तैरना भी तुझे,
बीच मझधार है!
दिल नहीं मोम का,
यूँ पिघलता हुआ,
प्यार का मीत दिल,
गीत झंकार है!
ख़ाब तो ख़ाब है,
ख़ाब का क्या करें,
साँच को आँच तो,
झूठ अंगार है!
जीत लो प्यार से,
इस जहाँ को"अदी"
लूट कर जो मिले,
जीत में हार है!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (36गढ़)
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स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि -१६.०५.२०२१
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