डराना नहीं-ग़ज़ल-कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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 ग़ज़ल

अदीक्षा देवांगन "अदी"

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212 212 212 212

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मौत  से  ज़िंदगी को डराना नहीं, 

जिंदगी को नज़र से गिराना नहीं!


मौत जो सत्य है तो डरें किस लिए, 

ज़िंदगी  नफ़रतों  में  बिताना नहीं!


चैन से तुम जिओ,बांट लो तुम खुशी,

ज़िंदगी में  किसी  को सताना नहीं!


हाल सबकी सुनो हाल सबसे कहो, 

बात ही बात में  दिल  दुखाना नहीं!


 कौन है जी बड़ा कौन छोटा यहाँ,

सब बराबर बनें यह भुलाना नहीं!


ज़िंदगी फिर मिले, हिंद में ही मिले, 

सरज़मीं का हमें सिर झुकाना नहीं!


ऐ"अदी" ज़िंदगी, मांगती है कला, 

वो कला सीख लो, जी बहाना नहीं!


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 अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर (36गढ़)

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स्वरचित मौलिक रचना

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि -१६.०५.२०२१

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