पगडंडी पर चलने वाले- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल
अदीक्षा'देवांगन "अदी"
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2222 ,2222
पगडंडी पर चलने वाले,
जिनके पग में पड़ते छाले!
पक्की सड़कें,चलती गाड़ी
चलते जिसमें रुतबे वाले!
मंज़िल की है दूरी कितनी,
इसमें भी हैं गड़बड़ झाले!
चलने वाले चलते रहते,
भोले हैं सबके रखवाले!
अपनी मंज़िल दिल ही जाने,
सबका दिल है,सब दिलवाले!
"अदी"आवारा हो तो जानो,
सबकी गोटी सबकी चालें!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (36गढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि १३.०५.२०२१
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