चाँद तारों का जहाँ- ग़ज़ल-कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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*ग़ज़ल*

*ग़ज़लकारा-

अदीक्षा देवांगन"अदी"*

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  *2122 212 2122 212*


चाँद  तारों  का  जहाँ, 

          हम कहाँ हमदम कहाँ! 

गीत   गाने   के   लिए, 

          सुर कहाँ सरगम कहाँ!! 


रो  रहे  थे  जो  कभी, 

          अब  नहीं  वह बात है, 

आज वो भी हँस दिए, 

          आँख भी अब नम कहाँ! 


हुस्न  के  बाजार  में, 

          बंद  हैं  सब  चेहरे, 

देखना   होगा  हमें, 

          हट रहा चिलमन कहाँ! 


आग दिल में जल रही, 

          दिल बड़ा ही जल रहा, 

आशियाना  जल  रहे, 

          जल रहा तन-मन यहाँ! 


देख   लेता   चेहरा,

          झाँक लेते अक्स भी, 

देखते खुद को जरा, 

          पर यहाँ दरपन कहाँ! 


मन हुआ दिल से जुदा, 

          रूह  तन  से भी  जुदा, 

जान  जाने   है   लगी, 

          मन कहाँ तड़पन कहाँ!


चल दिए वो दिन कहाँ, 

          खेलते  थे  साथ  में,

आ  गई  क्या  उम्र  है,

         खो गया बचपन कहाँ! 


खो गया है दिल "अदी"

          कौन  जाने  है  किधर, 

हम कहाँ हैं क्या पता, 

          दिल कहाँ धड़कन कहाँ! 

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   *अदीक्षा देवांगन"अदी"*

     *बलरामपुर (36 गढ़)*

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि ०३.०५.२०२१

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