ज़िंदादिली अपनी जिंदा रखों- ग़ज़ल- माधवी गणवीर
ग़ज़ल
ग़ज़लकारा- माधवी गणवीर
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जिंदादिली अपनी जिंदा रखो
सबसे जुदा आपनी अदा रखो।
यूं तो कई शौक है जमाने में
अदा अपनी भी जुदा रखो।
अहमियत आपकी जिसने समझी
हाथों पर उसके दुआ रखो।
दुआएं भी होंगी कबूल एक दिन
अपना बस एक खुदा रखो।
मरने न देना अंदर के इंसान को
शर्त ये है शौक जिंदा रखो।
वक्त पर जो वक्त दे " माधवी"
वक्त पर उनका साथ सदा रखो।
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माधवी गणवीर
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