दिल वतन के लिए, जाँ वतन के लिए- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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 नज़्म

 वतन के लिए!

(अदीक्षा देवांगन"अदी")

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212 212 212 212

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दिल वतन के लिए,जाँ वतन के लिए!

हिंद  से  राब्ता  हर  जनम  के लिए!!


साथ में चल रहा इक बड़ा क़ाफ़िला, 

कर रहे हैं जतन सब अमन के लिए! 


सरहदों  में  फ़ना, जो किए ज़िंदगी,

ज़िंदगी  है  वही, अंजुमन  के लिए! 


युद्ध भी हम लड़े,जब जरूरत पड़ी, 

हारते  हम नहीं, फिर वचन के लिए!


जब शहीदे-वतन कर चले जाँ फ़िदा,

तब तिरंगा सही,फिर क़फ़न के लिए!


हौसला  साथ  है,  हम अकेले  नहीं, 

खिल रहे फूल हैं, सब चमन के लिए! 


जाँ लुटा दे "अदी" ग़र  ज़रूरत पड़े,

सरफरोशी सही, दुख दहन के लिए!


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अदीक्षा देवांगन "अदी"

बलरामपुर(36गढ़)

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि-०६.०५.२०२१

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