हिंद की सरज़मी को नमन कर चले- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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देशभक्ति ग़ज़ल
अदीक्षा देवांगन "अदी"
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हिंद की सरज़मीं को नमन कर चले,
वो हमारे हवाले वतन कर चले!
दुश्मनों से लड़े जंग वो आखरी,
वीर जो आज लंका दहन कर चले!
वो शहादत दिए, हम जिएँ चैन से,
याद है सब हमें जो जतन कर चले!
खौफ की रात में मौत की आहटें,
जो डटे हैं वहाँ वो सहन कर चले!
लब तिरंगा कहे मन में गंगा बहे,
सब खुशी से रहें गुलचमन कर चले!
जाँ रहे तो रहे जान जाए मगर,
जीतना है हमें वो करम कर चले!
धूर्त जयचंद भी अस्तिनों में पलें,
साँच है देख लो जो सितम कर चले!
भारती की सदा है कि सुन लो जहां,
ऐ"अदी" विश्व में हम अमन कर चले!
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अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर (36गढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिक सुरक्षित
प्रकाशन तिथि -१५.०५.२०२१
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