हौसला -ए-ज़िग़र आज़मा लिजिए - ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

 ग़ज़ल!

अदीक्षा देवांगन"अदी"

२१२ २१२ २१२ २१२

➖➖➖➖➖➖➖➖➖

☘️🌸☘️🌸☘️🌸☘️🌸☘️


हौसला-ए-ज़िग़र आज़मा लीजिए,

वक़्त  से हर घड़ी सामना कीजिए!


इश्क़ हो या नहीं राज़ की बात हो,

राज़ को जी सरेआम ना कीजिए!


बेखुदी में सनम उठगए जो कदम,

हर कदम को सही इक दिशा दीजिए!


हिंद की सरजमीं  है हमारा वतन,

सरजमीं के लिए जाँ फ़ना कीजिए!


बादलों में छुपा हो कहीं चाँद तो,

रौशनी इश्क़ से तब जला लीजिए!


नूर  ही  नूर  हो  ज़िंदगी  में यहाँ,

इसलिए आप भी मुस्कुरा लीजिए!


दोस्ती ग़र नहीं, रंज़िशें  ही  सही,

दिल दुखाए जरा फिर बुला लीजिए!


ऐ"अदी"कया करें हम दुआ के सिवा,

दर्द को रूह  से  अलविदा कीजिए!

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

 अदीक्षा देवांगन "अदी"

 बलरामपुर(छत्तीसगढ़)

🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️🏃‍♂️

स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

प्रकाशित तिथि -२१.०६.२०२१

Comments