इश्क लाज़वाब है प्यार लाज़वाब है - ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
🌹((( लाजवाब ))) 🌹
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ग़ज़ल!
(मौजू-लाजवाब)
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२१२१ २१२ २१२१ २१२
इश्क लाजवाब है प्यार लाजवाब है,
रात अंधियार है,या कि आफ़ताब है!
आज प्यार यार का,आजमा सही जरा,
इश्क़ है ज़रा-ज़रा या कि बेहिसाब है!
लाजवाब बात है बात में कमीं कहाँ,
आज चाँदनी यहाँ रात भी ज़नाब है!
आशिक़ी वहीं सही या चली नई हवा,
यार ये पढ़ो जरा प्रेम की किताब है!
बोल दो हमें यहाँ बात आज प्यार की,
बात खोल के कहो रूख बे-नक़ाब है!
साक़िया नहीं यहाँ,चैन या सुकून भी,
आँख में नशा हुआ होंट में शराब है!
बागबान बाग से फूल या कली चुने,
लो कली नहीं खिली फूल सब गुलाब है,
नूर है "अदी" कहाँ आसमान देख लो,
आज रात चाँद तो ईद का खिताब है!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि-२७.०६.२०२१
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