सलामत रहे हिंद प्यारा वतन-ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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 ग़ज़ल-प्यारा वतन,
अदीक्षा देवांगन"अदी"
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          *१२२ १२२ १२२ १२*

सलामत  रहे  हिंद  प्यारा वतन,
दिलो-जान  है  ये  हमारा वतन!

            हमारी   इनायत  गुरूरे -वफ़ा,
            कली,फूल हैं बागबां-ए-चमन!

नहीं है  ग़िला आशिकों  से  हमें,
ग़में-ज़िंदग़ी और जलता क़फ़न!

            शहादत सही है वतन  के लिए,
            नहीं ख़ौफ कौई रहे सब अमन!

अदावत  हुई  है तिज़ारत नहीं,
सलामत रहो यार लागी लगन!

            घरों में छुपे  कंश,रावण सभी
            यहाँ भी करो राम लंका दहन!

नदी  बह रही धुप भी छाँव भी,
जमीं आसमां ये हवा का चलन!

            सभी के घरों में खुशी आज हो,
            हमारे  दिलों  का  सहारा वतन!

"अदी"है शिकायत सुनो वक़्त से,
कहाँ हैं इनायत किए सब दफ़न!

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             अदीक्षा देवांगन"अदी"
            बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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