छलका जल आँख से धारों का हो गया- ग़ज़ल -कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल!
अदीक्षा देवांगन"अदी"
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२२२ २१२ २२२ २१२
छलका जल आँख से धारों का हो गया,
अपना दिल यार है यारों का हो गया!
दिल वालों की यहाँ देखो तो आशिक़ी,
सबकुछ तो प्यार के मारों का हो गया!
दरिया-ए-इश्क़ में कश्ती कैसे डुबी,
साहिल तो बीच मझधारों का हो गया!
आवारा हो गया दिल देखो तो सही,
बिकता है इश्क बाजारों का हो गया!
दीवाना तो नहीं दिलवाला प्यार का,
आवारा आज दीदारों का हो गया!
संभालो आप को बाजारों से जरा,
बिकता है वो नहीं सारों का हो गया!
देखो तो ऐ"अदी"सरगम के गीत को,
गाया वो कौन सिंगारों का हो गया!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- २५.०६.२०२१

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