इस दिलजले का दिल उठा के हाथ में देखो- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल!
अदीक्षा देवांगन"अदी"
२२१२ २२१२ २२१२ २२
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इस दिलजले का दिल उठा के हाँथ में देखो,
मिलता नहीं है दिल यहाँ ख़ैरात में देखो!
दिल तो तड़पते हैं यहाँ धड़कन सदा देती,
दर्दे-ग़में-नफ़रत ख़ता सौगात में देखो!
क्यूँ अश्क़ आँखों से बहे दिन-रात तन्हां में,
है भीड़ शबनम की ग़में-बारात में देखो!
आशिक़ नहीं कोई रहा तो आशिक़ी भी क्या,
ये धूप का है अक़्श दम बरसात में देखो!
ग़र चाँद में है रौशनी तो ये ख़ता किसकी,
फिर चाँदनी को तुम अमावस रात में देखो!
खूँ लाल होता है सभी के देह में हरदम,
ग़र खून हो काला किसी की जात में देखो!
बातें करो हम से हमेशा प्यार से जानम,
बातें बहकती है यहाँ जजबात में देखो!
लो ज़िंदगी फिर आ गई साँसे"अदी"अटकी,
करलो वफ़ा फिर ज़िंदगी औक़ात में देखो!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- २८.०६.२०२१
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